रामभक्त हनुमान जी को कलयुग का देवता कहा जाता है | उनका स्थान देवो में श्रेष्ट है | हम हनुमान जी को इसलिए पूजते है क्योंकि उन्होंने अपना सारा जीवन माता सीता और प्रभु श्री राम को समर्पित कर दिया है | ऐसा कहा जाता है की महिलाओ को हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए | क्योंकि उन्होंने स्वयं विवाह नहीं किया था | लेकिन क्या आप जानते है भारत में एक ऐसा मंदिर भी है, जिसमे हनुमान जी एक स्त्री रूप में विराजमान है |
जी, हाँ आपको जानकर यह ताज्जुब होगा की भारत में हनुमान जी एक ऐसी प्रतिमा है, जो लगभग एक हजार वर्ष पुरानी है और उसमे स्वयं हनुमान जी स्त्री रूप में विराजमान है | यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के रतनपुर गांव में स्थित है | संभवतः यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की स्त्री के रूप में पूजा होती है |
दरअसल, इस हनुमान जी के इस स्त्री रुपी मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ी कहानी है | ऐसा कहा जाता है की रतनपुर गाँव के आसपास राजा देवजू का शासन था | राजा देवजू हनुमान जी के परम सेवक थे | जब भी वे किसी युद्ध पर जाते थे, उससे पहले हनुमान जी को प्रसन्न करते थे | वे कोई भी कार्य करने से पहले हनुमान जी को याद अवश्य करते थे |
लेकिन ऐसा कहा जाता है की एक बारे राज देवजू को कुष्ट रोग हो गया | वे अपना जीवन सकुशल जीना चाहते थे | लेकिन इस रोग के कारण वे किसी भी भोग विलास का आनंद नहीं ले सकते थे | एक बार उन्होंने हनुमान जी के सामने कहा की हे ! हनुमान जी अपने मुझे जीवन तो दिया, साथ ही मुझे राजा ही भी बनाया | लेकिन, यदि मैं अपने राज्य को ही नहीं संभाल सकता हूँ और यदि मैं किसी प्रकार का सुख ही नहीं भोग सकता हूँ तो यह मेरा जीवन किस काम आयेगा |
ऐसा कहा जाता है उसी रात हनुमान जी ने राजा के सपने में आकर मंदिर बनवाने की बात कहीं | राजा समझ गया की यह हनुमान जी की इच्छा है | इसके बाद फिर क्या था, राजा ने एक हनुमान जी एक भव्य मंदिर बनवा दिया | इसके बाद जब मूर्ति स्थापना की बात आई तो राजा यह फैसला नहीं ले पा रहे थे की हनुमान जी की कैसी मूर्ति बनवाई जाये |
कहते है एक बार फिर हनुमान जी राजा देवजू के सामने में आये और कहा की तुम प्रातः काल महामाया कुंड चले जायो | तुम्हे वहां जो भी मूर्ति मिले उसे मंदिर में स्थापित कर देना | राजा ने ऐसा ही किया | महामाया कुंड में जाकर उन्होंने देखा की उन्हें जो मूर्ति प्राप्त हुई है वह एक स्त्री की है | राजा इसे देखकर काफी डर गये | क्योंकि हनुमान जी का ऐसा चमत्कार कभी नहीं हुआ था | एक बार तो उन्होंने स्त्री रुपी हनुमान मूर्ति को स्थापित करने में संकोच किया | लेकिन उनमे हनुमान जी आदेश की अवेहलना करने का साहस नहीं था |
इसलिए उसी मूर्ति को मंदिर में स्थापित करवा दिया | अगले दिन राजा ने उठकर देखा की उसे कुष्ट रोग से मुक्ति मिल गयी है | इसके बाद ऐसी मान्यता है की कोई भी व्यक्ति यहाँ चला जाता है और हनुमान जी के दर्शन कर लेता है तो उसके सारे रोग दूर हो जाते है |